________________ धम्मि- बाः कारिन्यं तयोर्मत्या-वपि झाते श्वसिम्यहं // 75 // मृगनाभिर्मगोहित्य / मौक्तिक शुक्ति कानिदे // फलं रंनानिशुंजाय / तथाहं जनकबिदे / / 76 // मरुदेशं मरालीव / महानागा य. शोमती // मां प्राप्य नीरसं नाथं / न लेभे जातु निति // 7 // संचिक्ये पूर्व जैर्लक्ष्मी 214 कष्टं कणराशिवत् // स्वादं स्वादं दयं निन्ये / मूषकेणेव सा मया // 7 // यन्मे पित्राश्रितं सिंल अरेरे! नगो जजो शोषा पण जतो नथी! // 4 // मारा वहाला मातपिता मारा वियो गथी मृत्यु पाम्या, अने अरे ! मारुं हृदय केQ कठण के तेनुं मृयु जाण्या उतां पण हजु हं जीवं वं! // 5 // जेम कस्तूरी हरणनो नाश करे , मोती बीपनो नाश करे तथा केळनां फल जेम केळ्नो नाश करे , तेम में पण मारा मातपितानो नाश कर्यो बेः // 6 // मरु देश पामीने जेम हंसणी तेम महानाग्यवाळी यशोमती मारा जेवा नीरस गरिने पामीने को पण समये सुख पामी नहि. // 7 // मारा पूर्वजोए कष्टथी धान्यना ढगलानीपेठे जे लक्सी ए. कली करी हती ते में जंदरनीपेठे खा खाइने खूटामी. // 77 |मारा जे घररूपी गुफामां सिं. हसरखा मारा पिता रहेता हता, ते घरमां बाजे अरेरे! कोक घुवमनीपेठे अन्य मनुष्यो वि. P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust