________________ धम्मि- हेमंते हेमगौरांगी। सा कदाचिदयाचत // तिलानका मुदे हि स्या-गुरुदत्ता सुखादिका // 30 // / . म खलं समर्प्य सा दत्त-पृष्टा पृष्टा तया रयात् // जवृंखला खलापीमं / स्वं चक्रे प्राग्वदुक्तिभिः // " // 31 // सा प्रत्यूचे न किं वेत्सि / लनते यद्यमुं खलं / सैरिजी तत्पयोदाना-दंव कादंबिनी२०२ यते // 35 // यावकं याचितान्येा-स्तया क्रमनखश्रिये // जरत्यदत्त पदमाणि / नियोतितर सानि सा // 33 / / पृष्टा प्राग्वत प्रजल्पंती / तयाकाऽवादि निष्टुरं // मातर्मूढासि यदोषा-नेषु | ण कहाडी शके तेम ? // 27 // हेमसरखां गौर शरीरवाळी ते वसंततिलकाए हेमंत ऋतुमां ए. क दिवस पोतानी मातापासे तल माग्या, केमके वडीने श्रापेली सुखडी हर्षकारक थाय ने. // // 30 // त्यारे ते पण तेणीने खोळ श्रापीने जेवी पाजी वळी, त्यारे तेणीए पुवायी ते उच्च खल कुट्टिनी पूर्वनीपेठे वचनोथी पोताना अात्माने खळममान करवा लागीः // 31 // त्यारे व. संततिलका बोली के, हे माता! तुं जाणती नथी के जो या खोळ गायने आपवामां आवे तो ते दूध देवामां मेघमाळासरखी नीपजे. // 3 // वळी एक दिवसे तेणीए पगना नखो रंगवामाटे मजीव मागी, त्यारे ते मोकरीए तेणीने नीचोवेल रसवाळां तेनां फोतरां बाप्पां. // 33 // पूज 'PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust