________________ धम्मि- सिरैः प्रेम-प्रासादो योऽत्र निर्ममे // स्थिरः समः समुत्तुंग-स्तं स्वयं पातये कथं // 20 // ना / मा न्यत्र रमते चेतो / निध्यातजणं मम // विश्राम्यति करीरे किं / रसालरसिकः पिकः // 11 // | मातर्मातः परं वोचः / शोचनीयमिदं वचः॥ चेत्त्वं चारितवामासि / तर्हि पंया ममापि सः // 1 // 200 | नयानेवं गतः काल-स्तयोर्विवदमानयोः // नपर्यधो वा नैकस्या / अपि पदोऽजवत्पुनः // 23 // अन्यदा कुंदसंकाश-रदा.सा शरदागमे // बुनुक्षुरीभुखंडानि / ययाचे मातरं मुदा // 14 // थे केम पाउं? // 20 // या धम्मिलना गुणोनाज ध्यानवाबु मारुं चित्त अन्यविष खुश याय तेम नथ), आंबानी रसीक कोयल शं कंथेरपर विश्राम करशे? / / 21 / / माटे हे माता! हवेथी तुं वावु शोचनीय वचन बोलती नहि, अने जो तुं तेने कहामी मेलीश तो मारो पण तेज मा. र्ग तारे जाणवो? // 15 // एवी रीते विवाद करतांयकां तेन बन्नेनो घणो काळ गयो, परंतु ब. नेमांथी एकनो पण पद नपर नीचे थयो नहि. // 13 // .... पड़ी एक वखते शरद मतुसमये मोलरनी कळीसरखा दांतवाळी ते वसंततिलकाए सेलमी | खावानी श्वाथी पोतानी मापासे हर्षथी तेना टुकडा माग्या. // 24 // त्यारे तेणीए यंत्रमा पी. P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust