________________ धम्मि- निःशेष—योषितातियशस्करीं // गृहागताग्रतोऽमुंचत् / कुट्टिन्या भूषणानि सा // 3 // तदास्यः / की कूपतः पीले-यशोमत्याः कथामृतैः / / जरती विस्मिता मॉलिं / धुनतीति व्य जावयत् // 4 // या | प्रीणाति वषानि-रीदृग्दशमपि प्रियं // सर्वनारी शिरोरत्नं / सेयं जीयाद्यशोमती // 5 // क. 192 गिनः कश्मलो यस्याः। प्रेमहेम परीक्षितुं // कषपद्रायते गर्ता / सेयं जीयाद्यशोमती // 6 // मृन्मण्योः सरमासिंह्योः / कुवलीरंभयोरिख / / गुर्वी जिन्मम यस्याश्च / सेयं जीयाद्यशोमती / / / / यावीने ते भाषणो कुटणीनीपासे मेव्यां. // 3 // तेणीना मुखरूपी कुवामांयी पीधेलां यशोमतीनी कथारूपी अमृतवडे करीने विस्मय पामेली ते डोकरी कुटणी मस्तक धुणावतीथकी वि. चारवा लागी के, // 4 // जे यावी अवस्थावाला नरिने पण पोताना या नूषणोधी खुश करे बे एवी तथा सर्व स्त्रीनमा मुकुटसरखी ते श्रा: यशोमती जयवंती वर्तो. // 5 // जेणीना प्रेमरूपी सुवर्णनी परीक्षा करवामाटे कठीन अने श्याम नर्ता कसोटीसरखो थयेलो जे ते था यशोमत) जयवंती वर्तो. // 76 / / माटी अने मणि, कुतरी अने सिंहण, तथा कंथेर अने केळवच्चे जेटलो तफावत ने तेटलो मारा बने यशोमतीना वच्चे तफावत , ते आ यशोमती जयवंती वर्तो. // // P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun'Gun Aaradhak Trust