________________ धम्मि- पी. / सा बुलोके यशोमतीं // ६ए. // युग्मं / / तां दशां सद्मनस्तस्या / अपि वीदय दरिद्रतां॥निः। श्चिकाय तथाप्येषा / धृत्वा धाय॑मवोचत / / 70 // मां चंवदने चंद्र-वदनेककलालयः // तवो. दंतं धनं चाप्तुं / प्राहिणोदिह धम्मिलः // 71 // प्रेषिताप्यक्किया तत्र / सा धम्मिलमुदारहत् // ही 10 वेश्यानामलीकोक्तेः / कासिका दासिका अपि // 12 // नर्तुर्नाम्ना श्रुतेनापि / चंचद्रोमांचकंचुका अवदत्तमदोत्फुल्ल नेत्रांगोजा यशोमती // 73 // अहो महोत्सवः पुण्यै-रद्य जागरितं मम // नीनीपेठे एकांते पोताना स्वामिनुं नाम जपनारी, अने सिंहणनीपेठे अत्यंत सावधपणे रहेली एवी यशोमतीने दीठी. / / 65 / घरनी तथा यशोमतीनी ते अवस्था जोश्ने तेणीए निश्चय कयो के अहिं तो हवे केवल कंगालपणुंज ने, नोपण घिग धारण करीने कां के // 70 // हे चंडमखि! चंद्रनीपेने अनेक कलावाळा धम्मिले मने अहिं तारा समाचार तथा धन लेवामाटे मोकली.. // 11 // जो के तेणीने कुटणीये मोकली हती, तो पण तेणीए धम्मिलन नाम याप्यु! अरेरे! वेश्यानी दासीन पण जूगं वचनोना रोगवाळी होय . // 72 // गारनं ना. . | म सांजलवाथी पण जेणीना रोमांचो खडां थयेलां में एवी तथा हर्षयी प्रफुल्लित नेत्रकमलवाळी P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust