________________ धम्मि- / / 65 // विजनं वनवन्मौलि-प्ररूढतृणमऽिवत // मूर्योक्तिवदसंस्कारं / निःश्रीकं दीणदेहवत / / / / 66 / / श्यामीतसुधालेपं / पतद्दारं श्लथाररि // परितोऽवस्कराकीर्ण / तदासी प्रविवेश सा // // 67 // पंचभिः कुलकं // तत्राल्पाचरणां किंचि खूनपुष्पां लतामिव // षम्लानतनुं रात्रि१०७ शेषे शशिकलामिव // 6 // एकांते स्वामिनो नाम / जपंती योगिनीमिव / शार्दूलीमिव दुई पमोथी भरे, // 64 // तथा सर्व जगोए नंदरोना समूहोए जाणे सुरंगोवाऱ्या कर्यु होय नहि ते. q, तथा करोळीयानए पोतानी लाळना जाळांथी जाणे ताणावाणावाबु कयु होय नहि तेवं, // / 65 / / वननीपेठे उजड, पर्वतनीपेठे जेनापर घास नगी नीकळेलु ने एवं. तथा मूर्खना वच ननीपेठे संस्कारविनानुं एटले खाडाखम्बावाद्यं. दीण थयेलां शरीरनीपेठे शोजाविनाचें // 66 / / काळो पनी गयेल ने चुनानो लेप जेमां एवु, पमवानी अणीपर ने हार जेनुं एवं, ढीली थग. येल अर्गला जेनी एवं, चारे बाजु कचराथी परेवु. एवां ते धम्मिलना घरमां ते दासीए प्र. वेश को. / / 67 // त्यां तेणीए थोडांक टायेला पुष्पोवाळी लतानीपेटे स्वल्प या वृषणोवा तथा प्रजातकाळ्नी संध्यासमये चंद्रनी कळानीपेठे जरा म्लान शरीरवाळी, // 67 // तथा योगि P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust