________________ धम्मि- फलकं वार्षिममस्य / त्वां त्वरण्यगतस्य च // दर्शयन दृढतास्थानं / न देषी सर्वया विधिः / / 63 / / एतामथाश्लथप्रेमा-मादाय त्वदनुझया // यामि स्वविषयं भूयो / यात्वदर्शनोत्सवः // 64 // श्त्यशंसागिरा वित्त-निमित्तस्तापसाग्रणीः // यो निजाश्रमे तस्या-गमनं निरचैष्ट सः // 65 // 317 | गुणवर्मा ततस्तात-गृहादिव घनाग्रहः / / गृहीत्वा गृहिणीं ग्राम्य / वागात्पदिकः पथि // 66 // स्त्रीने जीवाडीने यापे मने जीवितदान प्राप्यु . // 6 // समुद्रमां बुड्यो तो मने पाटीनं मट्यु, घने वनमां आव्यो तो मने पापनां दर्शन थयां, एवी रीते मने अाधार देखाडवाथी हं ए. म मार्नु बु के मारुं दैव हजु सर्वथा मारुं देषी थयु नथी. / / 63 // हवे हुं आपनी पाशायी या मारी अत्यंत प्रेमवाळी स्त्रीने लेश्ने मारा देशमां जलं लु, अने वळी पण मने पापना दर्शननो उत्सव प्राप्त था ? // 64 // तेनी एवी रीतनी याशंसावाणीथी निमित्त जाणनार ते तापसेश्वरे निश्चय कर्यो के हजु भानुं फरीने मारां पाश्रममा बागमन थशे. / / 65 // पजी ते गुणवर्मा कुमार घणा आग्रहपूर्वक जेम पिताने घेश्यी तेम त्यांयी पोतानी स्त्रीने लेश्ने मार्गमां गामडी. | यानीपेठे पगे चालवा लाग्यो. // 66 // संध्याकाळे आगळ श्रावेली नदीना जलायी नज्ज्वल Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC. Gunratnasuri M.S.