________________ धम्मि- विरहे तव हेतवे // बाला बलादसून वेला-बनेऽत्र मुमुचे ततः / / 53 // विस्मारयंति- यद्येत-सु. खिन्यो वनदेवताः॥ तद्यूयं स्मरयिष्यध्वे / हे वल्लीवृक्षपक्षिणः // 14 // स एव शरणं स्वामी / मम स्तादिति वादिनी / / सारं सा रज्जुमावश्य / तरौ पाशं गले ददौ / / 55 / / ततो जातदयोऽहं ता-मुपगम्येत्यवादिशं / / मा कृथा मा कृथाः पुत्रि / वृयैवं मृत्युसाहसं // 16 // पाशे चिन्ने मया बाला / जगौ हा किं कृतं त्वया / / यन्न शक्ता दणमपि / प्राणान् धर्तु प्रियं विना // 7 // मया. वानी बाशा छोडीने या समुद्रकिनारापरना वनमां ते बालिकाएं पराणे पोताना प्राण त्यज्या जे. // 53 // वळी कदाच या सुखी वनदेवता जो या वृत्तांत विसरी जाय तो हे वेलमी वृद अने पदिने ! तमो ते याद राखशो. / / 54 // तेज मारा स्वामी मारा शरणरूप था ? एम कहेती ते बालिकाए एक मजबूत दोरहुं वृदपर बांधीने गळामां पाश नाख्यो. // 55 // त्यारे मने दया श्राववाथी में त्यां जर तेणीने कडं के हे पुत्रि! तुं फोकट आवी रीते आपघात कर नहि. // 16 / / पछी ज्यारे में तेनो पाश कापी नाख्यो त्यारे ते बोली के अरे! तमोए था शुं कयु ! केमके हं " | मारा स्वामीविना दाणवार पण प्राणो धारी शकुं तेम नयी. // 7 // त्यारे में तेणीने का के P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust