________________ धम्मि- कृतं // यहा किमुपकुर्वीत / जीमूतस्य कलापिनी // 4 // पार्श्वस्श एव प्रेयान् / हृतः केनापि / धिविधि // दैवं हि राहुमुत्पाद्य / चकोरीउवियोगकृत् // 4 // विद्युलोके ततस्तीरे / वा.रत्र दिनत्रयं / / न तु लेने प्रियश्चक्षु-खि जन्मांधया मया // 50 // बवुस्तं विना प्राणाः। प्रया: णाभिमुखा मम // वारिणो विरहे हंत / कियन्नंदति पूतराः // 51 // कदाचिदत्र यद्येति / जीवन्मे जीवितेश्वरः / तत् प्रसद्य निवेद्याहं / संदेश व मामकः // 55 // सर्वथा जीवितस्यास्थापण प्रत्युपकार करी शकी नथी, अथवा मेघपर शुं कई मयूरी उपकार करी शके वे ? // 4 // मार पासेज रहेला ते मारा स्वामीने को हरी गयुं बे, माटे दैवने धिक्कार ! खरेखर विधाताए राहुने नत्पन्न करीने चकोरी अने चंडवच्चे विरोध कराव्यो . // 45 // वळी अहिं समुद्रकिनारे में त्रण दिवसोसुधि तपास करी, परंतु जन्मांध जेम नेत्रने तेम हं मारा स्वामीने मेळवीशकी नहि. // 50 // हवे तेनाविना था मारा प्राणो निकळीजवानी तैयारीमां बे, केमके जलविना पूराज केटलुक जीवी शके. // 51 // वळी कदांच मारा स्वामी यही जीवता यावे तो मारापर कृपा करीने मारा संदेशानीपेठे तमारे मारो वृत्तांत कहेवो के, / / 52 // पापना विरवधी जीव. P.P. Ac. Gunratnasur M.S. Jun Gun Aaradhak Trust