________________ धम्मि- तत्व कुंडे / शृणु तन्नृपनंदन // 43 / / शो गतस्तृतीयेऽह्नि / फलाद्याहृतये वनं / / बहमेतां ल तागुटम-व्यवधानां व्यलोकयं // 4 // आतपे यामिनीवात्र / कामिनी नस्तपोवने // केयं कुर्या स्किमित्यंत-मयि ध्यायति सा जगौ // 45 // सर्वे शृएवंतु दिक्पाला / वनदेव्योऽखिलाअपि // 313 | प्रणाममंत्यमाधाय / साहं विझपयामि वः // 46 // मम कृते दुःखं / तत्किं यन्नाधिसोढवा. न् // तृणीयतिस्म स प्राणा-नपि वात्सख्यतो मयि // 4 // मनागपि मया नास्य / कृते प्रतिकृतं मृत रेमवा लाग्या के हे राजपुत्र! तु सांगळ? // 43 // श्राजथी त्रीजे दिवसे हं फलयादिक लेवामाटे वनमां गयो हतो, त्यां में लतार्जना गुबानी अंदर या तारी स्त्रीने जो. // 4 // तमकामां जेम रात्रि तेम था अमारां तपोवनमां या स्त्री कोण हशे? तथा अहिं ते शुं करशे? एम ज्यारे हुँ मनमां विचारखा लाग्यो त्यारे ते बोली के, // 45 // हे सर्व विक्पालो ! तथा सर्वे वनदेवीन ! तमो सर्वे सांगतो? हुँ तमोने बेल्ला प्रणाम करी विनंति करुं बु के, // 46 // श्रा जगतमां ते कयं दुःख ने के जे दुःख मारा स्वामीए मारेमाटे सहन कयु नथी, वळी ते मारापर नी प्रीतिथी पोताना प्राणोने पण तृणसमान गणे. // 4 // वली तेने बदले हं तेनापर जग, Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.