________________ धम्मि- पतिः क्लांति-वार वट श्वाग्रतः // 30 // सानंदं वंदमानस्तं / तेनाथालापितो मुदा // स्वधाम्नी मा वोटजे तता-गितो व्यापारयदृशं // 40 // ददर्श कोणदेशस्थां / तत्र नेत्रसुधांजनं // अनवृ. ष्टिसंकाश-दर्शनां स्वां स वलनां // 41 // तस्यात्यंतिकमानंद-माकलय्य महर्षिणा // किमेषा 312 तव पत्नीति / पृष्ट नमित्युवाच सः // 42 // दंतानिप्रणाय्याय / मुनिरेवं स्ववाक्सुवां // चिक्षेप लटकती जटावाळा, सऊनोने यापदाथी रक्षण करनारानमा अग्रेसर ( हमेशां पत्रोथी प्रौढ बनेला) दृढ श्रासन ( थम) वाळा तथा खेद निवारनारा वडसरखा कुलपतिने गाडीना जागमां जोया. // 35 // आनंदसहित कुमारे तेने वंदन कर्यु. अने तेणे पण तेने हर्षयी बोलाव्यो. पजी ते पोताना घरनीपेठे ते कुलपतिनी कुंपमीमां चारे बाजु दृष्टि करवा लाग्यो. // 40 // एवामां त्यां तेणे एक खुणामां बेठेली तथा आंखोमां अमृतांजनसरखी अने वादळांविनानी वृष्टि सरखां दर्शनवाळी पोतानी प्राणवल्लभा कनकवतीने दोठी. // 41 // पजी तेने थता अत्यंत या. नंदने जाणीने ते महर्षिए पूज्युं के शुं था तारी स्त्री ने? त्यारे गुणवर्माए पण हा पाडी. ॥शा | हवे ते मुनि पोताना दांतोनी कांतिरूपी नळीथी तेना कर्णरूपी कुंडमां पोतानी वाणीरूपी अ. P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust