________________ धम्मि- विपन्नयोः श्वशुरयो-गते परिजनेऽखिले // गेहगह्वर एकैव / सिंहीवास्थायशोमतिः // 26 // निरुध्य बाढं हृदय-वार्या मीनध्वजं गजं // सा नर्तृशय्यामर्यादां / वार्धिवेलेव नाभिनत् / / 57 // | सवितर्यस्तमाप्तेऽपि / धम्मिलस्तां न कामिनीं // भृशं मुक्तामपि जहौ / रसी भंग श्वाब्जिनीं // 106 // 27 // कलाकेलिकलाकेलि-कीलितस्य पणस्त्रिया.॥ थाहरैतनवत्तस्या-तीये दादशवत्सरी // 7 // पणस्त्रियाप्रणाल्येवा-कृष्यमाणं शनैः शनैः // कुंडस्येव पयस्तस्य / धनमदीयताखिलं एवी रीते सासुससराना मरणबाद सघळो परिवार पण चाख्यो जवाथी यशोमती पोताना ते घररूपी गुफामां सिंहणनीपेठे एकलीज रहेवा लागी. // 26 // वळी तेणीए पोताना हृदयरूपी सांकळमां कामदेवरूपी हाथीने दृढ बांधीने नारनी शय्यानी मर्यादा समुद्रनी वीरनीपेठे लोपी नहि. // 27 // हवे एवी रीते मावापरूपी सूर्य प्राथम्यापली पण रसलोबुप चमरो जेम कमलि. नीने तेम अत्यंत भोगवेली एवी. पण ते गणिकाने ते धम्मिले तजी नहि. // 27 // वेश्याए पोतानी मनोहर क्रीडावाळी कलानी क्रीमायी वश करेला ते धम्मिलना बार वर्षों एक दिवसनी. पेठे व्यतीत थयां. // 27 // नहेरसरखी वेश्याए धीमे धीमे खेंची लीधेबुं तेनुं सघj धन कुं: P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust