________________ धम्मि- दिकं कर्म / यध्यधत्तां तदादि तौ // तत्सर्व पूर्वसंस्कारा'न तु चैतन्यपाटवात् // 55 // तावधार | यतां प्राणा-नपि दुःखकदर्थितान् / आयुःकर्मोपरोधेन / न तु जीविततृष्णया / / 53 // एह्ये हि देहि देहि सौ-हित्यं वत्सल धम्मिल // स्वप्नेऽपीति प्रलपंतौ / तो व्यनिद्रयतां न कं // 14 // 105 एवं काले बजत्यात्मा / तयोः कायममुंचत // को वा सोपप्लवं स्थानं / न मुंचति सचेतनः // 15 // | मेश वहनारी नदीनी पेठे, तथा फुटेली सरवाणीवाळी कुश्नीपेठे हमेशां सुनने करनारी थ. | // 51 // वली त्यारथी तेन बन्ने जे गमनागमनादिकनुं कार्य करता हता, ते सघg तेन पूर्वना संस्कारथीज करता हता, परंतु सावध मनथी करता नहोता. // 12 // वळी तेन दुःखयी कंटाळे.. | ला (पोताना ) प्राणोने पण फक्त आयुकर्मना उपरोधीज धारण करता हता, परंतु जीववानी अनिलाषाथी धारण करता नहोता. // 53 // हे पुत्र धम्मिल तु याव थाव? अने अमोने था. नंद आप? एवी रीते स्वप्नमां पण बबनता एवा तेल बन्ने कोने निद्रारहित न करवा लाग्या? // // 4 // एवी रीते केटलोक काल वीत्याबाद तेजना अात्माए शरीर त्यज्यु. केमके कयो बुद्धि 1. / वान माणस उपऽववादुं स्थान गेडतो नथी ? // 55 // P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust