________________ धम्मि- वध्वा वेश्म विवेश सः // 20 // वामांगस्पंदनैः पूर्व / संसूचिततदागमा // प्रियं प्रेक्ष्य प्रमोदाब्धि | -वीचिनित्यतिस्म सा // 21 // सखी सा खेचरोदंतं / पप्रल भृशमुत्सुका // सापि तद्दधमाचष्ट / कुमारपरिकल्पितं // 25 // ततः प्रोधृतशल्येव / कुमारी न्यगदन्मुदा // त्वयाद्य सत्यता नीतं / 307 | निजं नाम प्रियंवदे // 23 // कथं तत्रागमत्तं चा-ऽवधीदत्रांगमत्पुनः / / श्यस्य चरितैश्चित्रं / म. य्य दिशदैरपि // 24 // पास्तां ते विक्रमेणास्य / कृता ऋतनुजामपि // चित्रीया चिरमित्युक्त्वा | ना नगरमां जश् जलदी कनकवताना महेलमां दाखल थयो. // 20 // माबु योग फरकवायी प्रथ. मथीज सूचित थयेल के जरिनुं आगमन जेणीने एवी ते कनकवती भरिने जोड्ने हर्षरूपी समुद्रना मोजावडे नाचवा लागी. // 21 // पछी तेणीए अत्यंत नत्सुक बनीने संखीने ते वि. द्याधरनो वृत्तांत पूज्यो, त्यारे तेणीएं पणं कुमारे करेलो तेनो वध जणाव्यो. // // हवे जा. णे पोतानुं शव्य निकळी गयु होयं नहि तेमं कनकवती हर्षयी बोली के हे सखि! तें बाजें ता. प्रियंवदा नाम सार्थक फयु जे. // 23 // ते त्यां केम श्राव्या ? तेने केम मार्यो ? अने वळी | यहिं शी रीते पाग याव्या? एवी रीतना तेना निर्मल चरित्रथी पण मारा मनमां आश्चर्य (चि. Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.