________________ सार्थ धम्मि- तं // 15 // वयं तिस्रोऽपि पाल–बालिकास्त्वधरिख // नीत्वा. मृत्युदशामत्र / नाट्यमेतेन का | रिताः // 16 // पाणिग्रहणमप्यस्य / वाक्पाशपतिता वयं // नाकामं कीदृशी बंदी-कृतस्त्रीणां सु. | खस्पृहा // 17 // अस्मान मोचयता धीमन / किं नादीयत नस्त्वया // अय स्वस्थानकं यामः / 307 | सौम्य यद्यनुमन्यसे // 17 // ततस्तदाझया तासु / प्रस्थितासु यथागतं // प्रियंवदान्वितोऽध्यास्त / | स्वं विमानं नृपांगजः // 15 // तेन प्राप्तनभःपारः / स्वपुरं पुरुषार्थवित / / गत्वा सत्वाधिको मंक्षु / ळी ते बोली के ) अमो त्रणे तमारी स्त्रीनीपेठे राजपुत्रीन जीये, तथा ते विद्याधरे मरणदशाने पहोंचामीने अहीं अमोने नचावी . // 16 // वळी तेना वचनरूपी पाशमां पम्वाथी अमोए विवाह पण कर्यो नथी, केमके केद करेली स्त्री ने सुखनी वांग वळी केवी होय ? // 17 // वळी हे बुध्विान ! अमोने गमाववाथी तमोए अमोने शुं नथी बाप्यु? हवे हे सौम्य ! जो तमो रजा पापो तो अमो अमारे स्थानके जश्ये. // 17 // पनी तेनी आझाथी तेन जे रीते यावी हती ते रीते पाजी वळते ते गुणवर्मा पण प्रियंवदासहित पोताना विमानमां बेठो. // 10 // पजी पुरुषार्थने जाणनारो तथा महाहिमती ते कुमार ते विमानवडे याकाशनो पार पामी पोता. SUM Jun Gun Aaradhak Trust