________________ धम्मि- शस्यस्य वृष्ये // तथा फलति धर्मोऽपि / कांले गुझिया कृतः // 6 // निशि देवार्चनं बाला। कृष्टिस्तद्भोगविघ्नता // इत्यादिपंकशुधिर्मत्-खधाराजलेऽस्तु ते // 7 // पादाहतोऽथ जोगीव / क्रोधांधः खेचरेश्वरः // मुक्त्वा स्त्रियमुदस्तासिः / कुमारं प्रत्यधावत // 7 // पतनोत्पतनव्यग्रौ। द 305 | ए कंदुकलीलया // संयुक्तौ च वियुक्तौ च / कांस्यतालाविव दणं / / 7 // मल्लाविव क्रमन्यासः / | कंपयंती दणं दंमां // कुमारखचेरेघौ तौ / युयुधाते मिथश्चिरं / / 10 // युग्मं / / दणं पुरः कणं पूर्वक अक्सरे करेलो फले . // 6 // रात्रिए देवपूजा, कुमारीकानन पकडवू, तेलेना गोगोमां विघ्न करवू, इत्यादिक तारा ( कादवनी) पापोनी शुछि मारा खाधारारूपी जलमां थाने ? // 7 // हवे पगेथी हणेला सर्पनीपेठे ते क्रोधाँध विद्याधर ते स्त्रीने गेमी तलवार जगामीने कुमारप्रते दोड्यो. // 7 // पनी दणवार दमानोपेठे तेन बने जबब्वा तथा नीचे भाववा लाग्या, तया कांसीधाननीपेठे दाणवार जोमावा तथा विखुटा पमवा लाग्या. // 7 // वळी मलनीपेठे चरण न्यासोथी दाणसुधी पृथ्वीने कंपावताथका ते कुमार अंने विद्याधर बन्ने घणा वखतसुधि परस्पर युछ करवा लाग्या. / / 10 / / एक एवा पण ते राजपुत्रने दणमा आगल, दणमा पाछत, दण / Jun Gun Aaradhak Trust - P.P.AC.Gunratnasuri M.S.