________________ धम्मि- एवर्मा मे / ततो मत्स्वामिनीपतिः // 76 // अथो तदनिधासीधु-पानप्रविलसन्मदः // नृकीटो मत्पुरः कोऽय-मित्युच्चैर्गर्जितोर्जितः // 7 // नल्लालयन खाशुंमां / वासयन्नखिलान् खगान // साथ यावलतावन्मृद्राति / तां स खेचरकुंजरः // 7 // परप्राणहरी खग-चपेटां व्योम्नि वल्गयन् // 303 | सहसाविरजुत्तावत् / कुमारः केसरीव सः // एए // विजिविशेषकं / / वाचालयन्नसौ शैला-नमि. कसी जेम.लीखोने तेम लाखोगमे शत्रुजने मारवाने जे समर्थ , एवो मारी शेगणीनो स्वामी गुणवर्मा मने शरणरूप था ? // 6 // हवे ते गुणवर्माना नामरूपी मदिराना पानयी मदो. न्मत्त थयेलो ते विद्याधर मोटे स्वरेथी गर्जारव करवा लाग्यो के अरे! ते मनुष्यरूपी कीडो वळी मारी आगल शुं हिसाबमां ने ? // 5 // पजी ते विद्याधररूपी हाथी पोतानी तलवाररूपी सुंढने नगळतोयको तथा सर्व खेचरोने त्रास थापतोथको जेवामां तेणीने वेलडीनीपेठे कचरी नाखवानी तैयारी करे , तेवामां // ए // शत्रुना प्राण हरनारी खारूपी थप्पडने आकाशमां न. गळतोथको ते गुणवर्मा कुमार केसरी सिंहनीपेठे एकदम प्रगट थयो. // ए // घणा पमघान. | वडे करीने पर्वतोने वाचाळ करतोयको वैरिपदाने नय करनारं सिंहनादसरखं वचन बोलवा ला. P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust