________________ धम्मिः ल नभोऽध्वना / / 75 // उपचैत्यं विमानेऽस्मि-नवतीर्य स्वयं स्थिते // युग्मिनाविव संपृक्तौ / ज / ग्मतुस्तौ जिनालयं // 6 // चिरं प्रतीक्ष्य कनक-वती रिक्षपात्यये // तावत्खेचरचक्रेशः / स्नात्रं | चक्रे जिनेशितः // 7 // नाट्यं विनापि निर्ग-नसौ नानेयमंदिरात् / / द्वार एव निरैक्षिष्ट / 301 / प्रविशंती प्रियंवदां // // सोऽपृढन्मत्सरी किं रे / स्वामिनी न तवागता / श्यानस्याः प्रमादः | किं / मयि शास्तरि जीवति // 7 // तस्याः शिरोतिरस्तीति / मंदमुक्ते तया जिया // एषा मृ. | र्मा कुमार पण तेनी पाबळ तेमां चमीने आकाशमार्गे चालवा लाग्यो. / / 79 // पड़ी ते जिन| मंदिरपासे ते विमान पोतानी मेळेज नतरीने स्थिर थये बते युगलीयांनी पेठे जोमायेला ते व ने जिनालयमां गया. // 6 // घणो वखत कनकवतीनी राह जोश्ने घणी रात्रि गयाबाद ते खे. चरेश्वरे प्रभुनुं स्नान कर्यु. // 77 // पनी नृत्यविनाज श्रीयादिनाथप्रभुना मंदिरमाथी बहार नि. कलता ते विद्याधरे बारणामांज प्रवेश करती प्रियंवदाने जो. // 6 // त्यारे ते मत्सरी विद्या. धरे तेणीने पूज्यु के घरे! बाजे तारी शेगणी केम श्रावी नहि? हुं नपरी तां तेंणीनो या. टलो प्रमाद शुं जीवी शकशे ? // 7 // त्यारे डरथी प्रियंवदाए धीमेथी तेणी- आज माथं दः. P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust