________________ धम्मि- गौरांगि संगीतं / कार्यमई निशागरे / / 67 // न कार्य दारकर्मापि / ममादेशं विना त्वया // 6 ति तस्य वचो मेने / मया जीवितकाम्यया // 6 // . तदादि यामि यामिन्यां / तत्र नृयाय नि. | त्यशः / व्यधां तु जीतजी तैव / पाणिग्रहणमप्यहं / / 10 / न तनिया मयाद्यापि / कौमारं सखि 297 | खंड्यते // नदंतोऽयमियत्कालं / गोपितः स्वपतेरपि / / 11. // चर्ताद्य स्वयमेवेदं / विदांचके. क वित्र करनारं श्रीमान ऋषभदेवप्रजनुं मंदिर यत्नपूर्वक बनाव्यु जे. / / .67 // माटे हे गौर शरोरखा. ळी ! में मोकलेला विमानमां बेशीने तारे हमेशां मध्यरात्रिए ते जिनमंदिरमा प्रावीने संगीत कवं. // 6 // वळी मारा हुकमविना तारे परणवू पण नहि. त्यारे में पण जीववानी श्वाथी ते. नुं ते वचन कबुल कयु. // 67 / / अने त्यारथी हुं हमेशां रात्रिए त्यां नाचवामाटे जानं , त. था या विवाह पण में ( तेनाथी ) बीतां बीतांज को बे. // 10 // वळी हे सखि ! ते विद्याध. रना मरथी में हजु माझं कुमारीपणुं पण खमित कयु नथी तेम थारला वखतसुधा या वृत्तांत में मारा पतिथी पण गुप्त राख्यो रे // 11 // परंतु आजे मारा स्वामीए ते वृत्तांत कोयन रीते पो. तानी मेळेज जाती लीधोने, केमके महात्माननी बुद्धि दिव्य रयनीपेठे सर्व जगोए पहोंची। Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC. Gunratnasuri M.S.