________________ धम्मि- स्नानाशनः सिघां-जनबन्नवपुर्निशि // निशितासिकरस्तस्या / गुणवर्मागमदगृहं // 21 // वनः / भेन विमानस्या-ध्यारोहं सह कृत्वरी // सा प्राग्वदेव देवाधि-देवपासादमासदत् // 12 // स्ना. त्रं कृत्वा यथास्थानं / खेचरौवे निषेदुषि // एकाऽनृत्यत्प्रवीणा सा / पुनर्वाणामवादयत् // 53 / / श सन्येषु वल्लकीनाद-स्वादतो मूर्जितेष्विव / पपात वीणादमांत-तामितं तत्पादांगदं // 24 // यः झातं तत्तया नाद-लीनया कौरवोऽग्रहीत् // ज्ञात्वा नाट्यावसाने तु / सा नेतुः संसदो जगौ पोताने स्थानके गया. // 20 // पनी ते स्नान तथा भोजन कर्याबाद सिघांजनथी अदृश्य थश्ने हाथमां सजेली तलवारसहित गुणवर्मा कुमार कनकवतीने घेर गयो. // 21 // पजी पोताना स्वा. मीसाथे विमानपर चडीने ते पूर्वनी पेठेज श्रीतीर्थकर प्रभुना मंदिरमां ग. // // त्यां स्नात्रपूजा कर्याबाद खेचरोनो समुह योग्य स्थानके बेठाबाद एक नाचवा लागी, अने ते चतुर कन: कवती वीणा वगामवा लागी. // 13 / / वीखानादना स्वादथी सगासदो मूर्जितनी पेठे होते ते वीणादंडना बेडाथी ठपकाएझुं तेणीना पगर्नु कांकर पडी गयु, // 24 // परंतु नादमां लीन थयेली कनकवतीना जाणवामां ते याव्यु नदि, अने गुणवर्मा कुमारे ते ले लीधुं. पठी नृत्य य. Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri.M.S.