________________ धम्मि- ला // तद्दीव्यं दुरेऽस्त्यद्यापि / प्रातराशदाणोऽपि सः // 11 // सावदद्देव किं दत्से। किंकिणीयं म. मैव यत् // न हि नट्टारिका तोष्या / हूतैस्तन्मूर्तिगुग्गुलैः // 12 / / हसित्वा भूपः स्माद / प्रिये किमिदमुच्यते // अमी वयमिदं राज्यं / सर्वमेतन्न किं तव // 13 // सा जगाद हसिवाल-मत्र शर तुल्यं शपे प्रिय // सस्ता कापि कटीसूत्रात् / किंकिणीयं ध्रुवं मम // 14 // यद्येवं देवि तद् बहि | कासौ निपतिता तव // इति पृष्टे कुमारेण / जगौ श्रीषेणनंदिनी // 15 // प्राग्जन्मवृत्तवनेतव्याकुल थाय ने ? हजु रमत तो बेटी , तेमज प्रागातिक शिरामणीनो वखत पण हजु दूर.जे. // 11 // त्यारे.कनकवती बोली के हे स्वामी ! aa ते शुंबापो गे? या घुघरी तो मारीज ने, केमके नट्टारिका कई तेनीज मूर्तिनो गुगळ होम्याथी संतुष्ट थश् शकती नयी. // 15 // त्यारे / राजकुमार हसीने बोब्यो के हे प्रिया! था तुं शुं बोले ? या यमो तथा आ राज्य, ए सघर्बु शं तारं नथी ? // 13 // कनकवती बोली के हे स्वामी! हांसी करवाथी सर्यु, या बाबतमा हं था. पना सोगन लेझने कहुं बु के खरेखर या मारी घुघर मारा कंदोरामांयी.क्यांफ खरी पनी // // 14 // हे देवी! जो एम ने तो कहे के ते तारी घुघरो क्या खरी. पड़ी ने? एवो. रीते कुमारे P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust