________________ धम्मि- चके स्नानं जिनस्याय / खेचरः सपरिबदः / / जत्पादयन्निव नवा / नदीनीं निरंतरैः / / 4 // पू. जानेदैः समन्य» / समग्रैः स जिनाधिपं / / कौतुकी नाट्यरंगाय / पुनः शिश्राय मंझपं // 5 // तेनाद्य नाट्यावसरः / कस्या युष्माखितीरिते // गुणवर्मवधूमेव / दर्शयांचक्रिरेऽपराः / / 76 // त. दाझ्या रयादात्त-चलना नलिनानना // ननत तत्र सा रंना / जनारेखि संसदि / / 7 // कः / न्या अन्याः क्रमात्ताल-वेणुवीणा अवीवदन // कः स्यादस्यां प्रनृत्यंत्या-मपरः खलु तौर्यिकः॥ जाणे नवी नदीन उत्पन्न करतो होय नहि तेम ते विद्याधरे जिनेश्वरप्रभुर्नु स्नात्र कर्यु. // 4 // पजी सर्व प्रकारनी पूजाथी जिनेश्वरप्रजुने पूजीने नाट्यरंगना कौतुकमाटे ते पागे रंगमंडपमां याव्यो. // 5 // तमारामांथी बाजे नृत्य करवानो कोनो वारो ने ? एम तेणे पूज्वाथी ते बी. जी कन्यानए गुणवानी स्त्रीनेज देखामी. // 6 // पनी तेनी आझाथी जलदी उठीने ते कमलसरखां लोचनवाळी कनकवती इंद्रनी सनामां जेम रंना तेम त्यां नाचवा लागी. // 7 // बीजी कन्या अनुक्रमे कांसीया वांसली तथा वीणा वगाडवा लागी, केमके आना नाचमां वळी वाजिन वगाडनार बीजो कोण होश् शके ? | G || हवे नाटकना ध्वनिथी ते विद्याधरेंद्र ज्यारे P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust