________________ धम्मि- रिपाश्चिक्या / प्रविशन जिनवेश्म सः // वृत्तं स्वस्य नवोढस्या-ऽस्मरदेवांगणदणं // // त. त्रानंदकरीमिंदु-करैखि विनिर्मितां // नत्वाहत्पतिमां बाला / रंगमंडपमाप सा // 70 // तिस्रस्त. लागताः कन्या / अन्या अपि तथा जिनं // प्रणम्य तत्पतिबाया / श्व तां परितः स्थिताः // 1 // 270 तत्रास्ति हस्तिन्निः श्वेत-दंतीव परिवारितः // खेचरैः खेचराधीशो। निविष्टोऽग्रे महाबलः ॥शा निवेद्य ताश्चतस्रोऽपि / कन्यास्तस्मै स्वमागमं // तस्थुः स्तंभानवष्टज्य / स्वर्णपांचालिका व // 3 // पोते जाणे सजोड देववंदनमाटे जातो होय नहि एवा अवसरने ते याद करवा लाग्यो. ॥णा त्यां जाणे चंद्रना किरणोवडे बनावी होय नहि एवी आनंद करनारी जिनप्रतिमाने नमीने ते क. नकवती रंगमंडपमां श्रावी. // 70 // वळी त्यां आवेली बीजी त्रण कन्या पण तेवीज रीते जि. नप्रतिमाने नमीने जाणे तेणीनी गयान होय नहि तेम तेणीनी आसपास बेठी. // 1 // त्यां जेम अन्य हस्तीनसहित श्वेत हस्ती तेम विद्याधरोथी वाटायेलो एक महा बळवान विद्याधरोनो राजा बागल बेठो हतो. // 2 // पनी ते चारे कन्यान तेने पोतानुं बागमन जणावीने जाणे | सोनानी पुतळोन होय हि तेम स्तंगोने अठंगीने जजी. / / 73 // पछी अविजिन्न जलधाराथी - P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust