________________ धम्मि त्पुरः प्रादु-रासीदाशु विकासुरं // चलध्वजनृत्य-दिव तपवीदाणात् // 31 // तत्र सख्या स हारूढां / कुमारोऽन्वारुरोहतां // पथि नैकाकिनी योग्या / स्त्रीति नीति स्मरन्निव // 12 // कि मितो यास्यति स्वर्ग-मेषा लेखैश्विखेलिषुः // किंवा वैताब्यमत्याब्य-विद्यावर रिरंसया // 13 // 3 त्याद्यनट्पसंकल्प-तल्पस्थे गुणधर्मणि // मणिरुग्मथितघ्वांत / प्रतस्थे तन्नमोऽध्वनि / / 9 // विअगासीपर चीने मंत्रसिंघनीपेठे हुंकारामात्रमांज एक विमानने खेंची लीधुं. // 70 // तुरंतज देदीप्यमान तथा तेणीनुं रूप जोश्ने चालती पताका रूपी हाथोथी जाणे नाचतुं होय नहि तेम एक विमान तेणीनी पासे यावी . / / 71 // मार्गमा स्त्रीने एकली मोकलवी योग्य न. हि एवी नीतिने जाणे याद करतो होय नहि तेम ते कुमार सखीसहित ते विमानपर चडेली कनकवतीनी पाउळ (अदृश्यपणे ) चडी बेगे. // 15 // शुं था यहींथी देवोसाथे क्रीडा कर. वानी बाथी स्वर्ममां जशे? अथवा महासंपत्तिवाळा को विद्याधरनीसाथे क्रीमा करवानी वाथी-शुं वैताब्यपर्वतपर जशे ? / / 73 // एवी रीतें अनेक प्रकारना संकल्पोरूपी बिगनामां गुणव. र्मा कुमार बेसते ते मणिनी कांतिथी दूर थयेल ने अंधकार जेमांयी एवा आकाशमार्गे ते P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust