________________ धम्मि- मथासौ दध्यिवानिति // धिग योषा निखिला दोषा / श्व घोरतमोमयीः // 66 // अस्या अवगतं / शील–स्वरूपं चेष्टयानया // श्राइं दीपालिकायां चे-त्तत्संदेहः कुलस्य कः / 67 ॥मम ब्रह्मप्र. तिझाय / खेलत्येषा यथारुचि // मृषावाक्सहजा स्त्रीणां / त्यग्गतिः सरितामिव // 67 // तदे. 275 ] नामसिनानेना-धुनैव करवै विधा // यहा नेयमनित-दुर्वृत्ता वधमर्हति // 6 // // एवं संवत | कोपेऽस्मि-नारूढा बलजीमनीः // विमानं मंत्रसिझेव / हुंकारेणानकर्ष सा // 70 // विमानं त. .डीने विचारखा लाग्यो के, अरे रात्रिनीपेठे घोर अंधकार (अज्ञान) वाळी सर्व स्त्रीने धिक्कार . // 66 // यावां थाचरणथी तेणीना शीलनुं स्वरूप तो हवे जाणी लीधुं, जो दीवाळीने दि. वसेज श्राफ होय तो पड़ी कुलना (नाशनो) संदेह शुं करवो ? // 67 // मने पोतानुं ब्रह्मच. र्य जणावीने बा तो मरजीमुजब खेच्या करे , माटे नदीनी नीचाणमां जेम खानाविक गति बे, तेम स्त्रीननी पण मृषा वाणी स्वानाविकज . // 60 / / माटे हमणाज तेणीना बा तलवारथी बे टकमा करी नावं, अथवा तेणीना उराचारनी खातरी कर्याविना मारखी ए योग्य नति / // 67 // एम विचारी कुमारे ज्यारे पोताना क्रोधने अटकाव्यो त्यारे ते कनकवतीए जयरहित P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust