________________ धम्मि- सारं सत्वं कृपाणं चा-मुंचन पत्न्या ययौ गृहं / / 61 // निस्तंद्रश्चंद्रशालाया-मारुह्य विजनें स्थि तः / जाग्रती तां कुरंगादी-मजादीद्दीपिकामिव / / 65 // जाग]षा किमद्यापी-त्येकचित्ते नृपां गजे / अतीये कियती रात्रि-रिति पप्रब सा सखी / / 63 // नमो निनाल्य सागाणीत् / क्षणः 14 सोऽभूहिचदणे // त्वर्यतां क्रियतां सार-शृंगारस्तत्र गम्यतां / / 64 // तां वीदयाय कृतस्नानां / स लिंकार धारिणीं // युगपत्कामकोपान्यां / कुमारो व्याकुलीकृतः // 65 // अपास्य कामवैवश्यतलवार साथे लेश्ने पोतानी स्त्रीने श्रावासे गयो. // 61 // त्यां ते प्रमादरहित अगासीपर च. मीने एकांते बेठो, ते वखते तेणे दीवानीपेठे जागती एवी ते कनकवती मृगादीने दीठी. // 6 // केमा हजुसुधी जागे जे ? एम विचारी ते राजकुमार जेवामां एक चित्तथी जोया करे तेवा. मां ते कनकवतीए पोतानी सखीने पूज्यु के केटली रात्रि गश् ? // 63 // त्यारे तेणीए आकाशतरफ जोश्ने कह्यु के हे विचदाण ते वखत थर गयो , माटे मनोहर शृंगार करो ? अने त्यां चालो ? // 6 // हवे तेणीने स्नान करेली तथा सर्वालंकारोथी शोनिती बनेली जोश्ने गुण| वर्मा कुमार एकीहारे काम अने कोपथी व्याकुल थयो. // 65 // पनी ते कामदेवनी व्याकुलतानगे P.P.AC.Gunratnasuri M.S... Jun Gun Aaradhak Trust