________________ धम्मि- तापरिचिता व // 46 // न सस्नौ न पपौ नापि / जघास न जहास च // जातसर्वस्वनाशेव / / मा केवलं प्ररुरोद सा // 4 // सा मुक्तसर्वव्यापारा / नंदनादरसंगता // विवाहात्पुत्र-वियोगिः: न्यपि योगिनी // 4 // नृपांतिकात्तदायातः / श्रेष्टी तां वीक्ष्य तादृशीं / संक्रांतं हृदयादशैंः / व. हंस्तदुःखमन्यधात् // 45 // दुःख किमद्य चित्तेऽत्रु-दयि ते दयिते वद // येन धसे तमोग्रस्त -शीतत्विषिसखं मुखं // 20 // अयं च दैवोपालंग-पूर्वमाघूर्णयन शिरः // यतीव गेहव्यापार॥ 46 // जाणे पोतानी सर्व मिटकत नाश पामी होय नहि तेम ते स्नान करती नथी, जल पी. ती नथी, खाती नथी, तथा हसती नथी, परंतु केवल रड्याज करे . // 5 // तजेल में सर्व / कार्य जेणीए एवी, तथा पुत्रना थादरमांज (नंदनवनना यादरमांज ) लीन थयेली तथा विलदादृष्टिवाळी (अदृश्यरूपवाळी) अने पुत्रना वियोगवाळी बतां पण ते योगिनीसरखी थइ || राजापासेथी बावेला शेठे तेणीने तेवी रीतनी जोश्ने (पोताना) हृदयरूपी आरीसामां दाखल थयेला तेणीना शुःखने धारण करतांथकां कडं के // 4 // हे प्रिये ! आजे तारा हृदयमां शं / दुःख थयुं जे? ते कहे, के जे सुःखथी अंधकारवडे ग्रस्त थयेला चंद्रसरखा मुखने तुं धारण करे -- -.. P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust