________________ धम्मि- हंत जंतवः // 17 // सामान्यरिपुनीत्यापि / न निशांति सुखं जनाः // नित्यं मृयुरिपुः पार्श्वे / / सार्थ मूढाः स्वस्थास्तथाप्यहो // 17 // निधास्येऽहमतो गेह-भारं नारदमे सुते // श्रादास्ये चाहतीं दी. दां / दूतीमिव शिवश्रियः // 15 // धाम व्योमेव तित्याः / स्वं व्यापार स सूनवे // ददाविंडरि. वोद्योतं / दिनेशाय दिनोदये // 20 // स्वयं पुनर्घनधन-व्ययादव्ययसौख्यदं // महेन्यादिव ज. | ग्राहा—ाग्रही रत्नत्रयं गुरोः // 21 // तत्वा सुदृढकमैधा-मालाकालानलं तपः // समाधिमृत्यु. अने मृत्युरूपी शत्रु तो हमेशां पासे रहेलो ने, तो पण मूढ माणसो तो नीरांते बेला बे. // // 10 // माटे हुं तो हवे जार नपामवाने समर्थ एवा आ पुत्रने घरनो भार सोपीश, अने मो. दालमीनी दूतीसरखी श्रीपरिहंतप्रभुनी दीदा लेश. // 15 // श्राकाशने तजवानी श्वावाळो चंद्र जेम पोता- तेज सूर्यने थापे , तेम पोतानुं घर तजवानी बावाळा समुद्रदत्ते दिनोदय समये पोतानो व्यापार पुत्रने सोंप्यो. // 20 // पड़ी दीदा लेवामाटे आग्रही एवा तेणे पोते घ. एं धन खरचीने शाहुकारपासेथी जेम तेम गुरुपासेथी अदाय सुख देनासं त्रण रत्नो ग्रहण क.. यी. // 1 // पड़ी दृढ कर्मरूपी काटनी श्रेणिने (बाळवामाटे) कल्पांतकालना अनिसरखो तप तपीने | PP.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust