________________ धम्मि- तः // 12 // चिरं सोढवियोगा सा / प्राप्त गोगेषु लोबुपा / / दूरेऽस्तु चैत्यं नासीत् / प्रतिमा गृ. हगा अपि // 13 // कदलीव फलं भोग-सुखं स्वादु-मनोहरं / / संदर्य दीयते नृणां / प्रायशः | पुण्यन्नावना // 14 // समुद्रोऽथ समुद्धृत-जराजर्जरयोवनः / / मनःसमदमदाम-मतिरेवं व्यगा वयत् // 15 // मया श्रियोऽर्जनोद्भोगा--दर्थकामो कृतार्थितौ / / अथैतद्दयमूलस्य / धर्मस्यावतरो मम // 16 // प्रयाणेऽप्यल्पकालीने / जनाः कुति सूत्रणां / परलोकप्रयाणे किं / निश्चिंता सुनद्रा जिनमंदिरे जq तो दूर रहो, परंतु घरमा रहेली जिनप्रतिमाने पण नमवान लागी. // 13 // स्वादिष्ट तथा मनोहर जोगोना सुखरूप) फल मल्याबाद केळनीपेठे माणसोनी पुण्यनावना पायें करीने नाश पामे . // 14 // हवे घमपण याववायी जेनुं यौवन नष्ट थयेधुंडे एवो ते बुद्धिवान् समुद्रदत्तशेठ विचारवा लाग्यो के, // 15 // में लक्ष्मी कमाइने तथा नोगवीने अर्थ तथा कामने तो कृतार्थ कर्या, हवे ते बन्नेना मूलरूप धर्म करखानो मारो अवसर . // 16 // स्वरूप कालना देशाटनमाटे पण लोको तैयारी करे , त्यारे परलोकना प्रयाणमाटे प्राणीजए शामाटे निश्चिंत रहे, जोश्ये ? // 17 / / सामान्य शत्रुना डरथी पण माणसो सुखे निद्रा करता नथी; P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust