________________ धम्मि- नोरथं // // अथ योस्तयोर्गेहे / प्रारें वनिताजनः // कर्म वैवाहिक सर्व / स्फुरवलमंग माईलं | नए || पुनः पुनर्मनोदूती कृत्य निर्वियोर्मियः // वरवध्वोरगुर्दुःख-मंगुल्या गणिता दिनाः // // अथ लमदणे स्नानः / संवीतः शुचिवाससी // विलिप्तश्चंदनैर्दिव्यै-मैमितो मणिपणैः // 1 // आरूढस्तुरगं रि-श्रीकरीवारितातपः // गीतोंगनाभिः परितः / परीतः पौरमंडलैः // // ए२ // सागरस्य गृहदारं / प्राप्तो वातायनस्थया / वरः सखीप्रेरितया / संबन्नाषे सुनद्रया // 3 // लो मानीने आनंद पामी. // // हवे तेज बन्नेने घेर स्त्रीन धवलमंगलसहित विवाहनां कार्यो करवा लागी. // 5 // फरी फरीने मनने दृतरूप करीने परस्पर थाकेला एवा ते बने वर वहना आंगलीए गणेला दिवसो व्यतीत थया. // 70 // हवे लमवखते स्नान करीने, पवित्र व स्रो पहेरीने चंदनथी विलेपन करीने, तथा दिव्य रत्नजडित था नृषणो पहेरीने // 1 // घोमापर चडेलो तथा घणी नत्रीनथी दूर करेल ने सूर्यनो ताप जेणे एवो, नारे बाजुथी जेने स्त्रीनगी त गा रही बे एवो, तथा नगरना लोकोना समूहथी घेरायेलो / / ए // सुरेंद्रदत्त (अनुक्रमे) | सागरशेग्ना घरना दरवाजापासे याव्यो, त्यारे फरुखामां बेठेली तथा सखीए प्रेरेली एवी सु. P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Sun Gun Aaradhak Trust