________________ त्तिष्ट दयिते मुंच / प्रपंचमखिलं पुरः // निवेशयासनश्रेणि-मयमायाति नृपतिः // 20 // मत्कामना मनागद्य / फलितेव निरीक्ष्यते // इति सा द्विगुणोत्साहा / तेने सर्व तथैव तत् // 15 // मालोपरि स्थितं सिंहा-सनमानय जुजे // इति भर्ना समादिष्टा / साध्यारोहदधियकां // 30 // नीताऽनयाऽनयाप्येषा / प्रोचैरिति रुषेव सः // निःश्रेणी दूरतोऽमुंचत् / सापराधां प्रियामिव // 31 // वरत्रां कूपके दिप्त्वा / कथं हा कांत द्वंतसि // श्यारटंती तामेड-श्वोपेदां चकार सः // 3 // तुं जलदी उनी था? बीजं बधुं कार्य गेमी दे? राजाजी आवे ने माटे आसनोनी श्रेणि मांड? // 2 // बाजे मारी ग कंक फळेली देखाय , एम विचारी बेवमा उत्साहथी सुरूपाए स. घg तेज मुजब कर्यु. // 27 // हवे तुं मजलापर रहेधुं सिंहासन राजामाटे लाव? एवी रीते न. तारे हुकम कर्याथी सुरूपा नीसरणीपर चमीने मजलापर गश्. // 30 // या दुराचारी स्त्रीने पण था नीसरणी नपर ले गश्, तेथी उत्पन्न थयेला अति रोषधीज जाणे होय नहि तेम ते धर्मदत्ते अपराधी स्त्रीनीपेठे ते नीसरणीने (त्यांथी खेसवीने) दर मूकी. // 31 // हे स्वामी! मने कुवामां उतारीने हवे तुं दोरी शामाटे कापे में? एवी रीते पोकार करती एवी ते सुरूपानी जा. P.P.AC..Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust