________________ धम्मि- नामुना // तद्दापय प्रजापाल / सादयसि स्वं यदावयोः // 7 // राझोचे सौम्य संजात-मद्य मा / ध्यंदिनं दिनं / / प्रातर्निर्वाह्य वादं ते / दास्ये चास्येऽशनं त्वनु // ए / स्वयमेव कदाप्येष / ताव त्वद्देयमर्पयेत् / / तदौषधं विना व्याधि-विध्वंसः समजायत // 10 // प्रमाणयन नृपादेशं / गंग६७ दत्तो विनिर्ययौ // अनन्यमतिरन्यस्तु / गृहं वररुचेर्ययौ // 11 // तेनात्याकुलताहेतुं / पृष्टः श्रेष्टी यथातथं / / यवोदंतं जगौ स्थूलं / स्थूलाश्रुपटलं किरन् // 12 // ऊचे वररुचिर्वत्स / न वत्सरशअपावो? केमके आप अमारा बनेना सादी जो, // 7 // त्यारे राजाए गंगदत्तने कडं के, चला माणस! आज तो बपोर थर गया , माटे प्रनाते तारा वादनो निश्चय करीने तने अपावीश, श्रने त्यास्वाद हुँ जोजन करीश. // // वळी एटलामां ते पोतेज तने पापवानुं जो यापी दे तो औषधविनाज रोगनो नाश थर जशे. // 10 // एवी रीतना राजाना हुकमने स्वीकारीने गं. गदत्त त्यांथी निकल्यो, अने धर्मदत्त तो बीजो नपाय न सूजवाथी वररुचिब्राह्मणने घेर गयो / // 11 // त्यारे वररुचिए अति गभराटनुं कारण पूज्वाथी तेणे बोखोरजेवमां बांसु पाडतांशको यवोनो वृत्तांत कह्यो. ॥१शा त्यारे वररुचिए कडं के हे वत्स! सर्वाना वचनोनीपेने सेंकडो वर्षे PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhakust