________________ धम्मि- यवानुवाप नृपीठे / मृदा प्रबादिते ततः // 3 // युग्मम् // श्वरीकरदावामि-दग्धा श्व न ते य. सार्थ वाः / / प्ररोहंतिस्म संसिक्ता / अपि नीरौर्नरंतरं // 4 // सेचं सेचं स निर्विलो / घोषं घोषं गुरुयथा // नांकूरोऽपि यवेष्वासीद् / बोधिलाजो जमेष्विव // 5 // फलं दूरेऽस्तु नांकूर—मात्रमप्येषु वीदयते // पुरः दितिपतेरे / त्राटकृत्य न्यगदहिटः // 6 // अहो अद्भुतकारित्व-महो सत्यप्रति. झता // अहो कलासु कौशल्य-महो अस्य विवेकिता // 9 // यन्मे देयमनादेय-वचसा श्रेष्टिटीथी छावेला पृथ्वीतलपर यवोने वाववा लाग्यो. // 3 // कुलटाना हाथरूपी दावानलथी जाणे बळी गयेला होय नहि तेम ते यवो जलथी निरंतर सिंच्या बतां पण नग्या नहि. // 4 // गुरु जेम कही कहीने थाके तेम ते सींची सींचीने थाक्यो, परंतु जडनेविषे जेम बोधिलान तेम ते यवोमां अंकुरो पण फुट्यो नहि. // 5 // त्यारे ते सुच्चो गंगदत्त एकदम तडाको करीने राजाप्रते बोल्यो के फल तो दूर रहो, परंतु मात्र अंकुरो पण आमां देखातो नयी. // 6 // अहो पार्नु आश्चर्यकारीपणुं ! अहो बानुं सत्यप्रतिझापणुं ! अहो कलानी बहादुरी! तथा अहो खानुं विवे. कीपाएं! // // माटे हे राजन् ! हवे था जूगबोला शेठपासेथी मने जे अपाववानुं बे ते थाप P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust