________________ धम्मि- तेन वचसा जगौ // त्वया समं समेष्यामि / स्वामिन्नहमपि ध्रुवं // 24 // मावादीस्त्वं विमुग्धासि / लोको वैदेशिकः शठः // शिरीषसुकुमारांगी। वं च पंया सुदुःकरः // 15 // एवं भर्चा निषि. | चापि / साऽमुंचन कदाग्रहं // वारयामासतुर्युक्त्या / ततस्तां श्वसुरावपि // 26 // कथंचनाप्यनुत्सृ. ष्टा-ग्रहामात्तव्रतामिव / पत्नी प्रीत्या सहादाया-ऽनलसः प्रचचाल सः // 27 // तया दयितयाधिः एय-धृति मार्गेऽपि लंचितः / प्रियजानिः प्रयाणानि / ददौ कतिपयानि सः // // पथ्यस्य वीश. // 55 // (त्यारे धर्मदत्ते तेणीने कां के ) हे प्रिये! या बाबतमां तुं कंई बोलीश नहि. तुं तो नोनी , परदेशी लोको बुचा होय , वळी तुं सरसवना पुष्पसरखी सुकुमाल शरीवाळी बे, अने देशाटन करवू कंई सहेबु नथी. // 25 // एवी रीते भर्तारे निषेध्या बतां पण तेणीए ज्यारे कदाग्रह तज्यो नहि, त्यारे युक्तिपूर्वक सासुससराए पण तेणीने निवारी // 26 // जोगणनीपेठे को पण रीते याग्रह न तजवाथी प्रीतिपूर्वक तेणीने साथे लेश्ने ते बालस तजीने चालतो थयो. // 27 // एवी रीते प्रीतिना वशथी साथे लेवाथी मार्गमां हरकत पवा बता पण तेणे केरलीक मजलो करी. // 20 // राजानीपेठे लोकोने लेश्ने चालता एवा ते धर्मदत्तने मा. PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust