________________ धम्मि- / जुनक्ति जननीमिव / / 15 / / प्रशस्यस्तात एवास्य / य एवं कमते व्ययं / / बुधो विधोरित्र क्ली. माई वः / पुत्रोऽपि स्यादरिः पितुः // 16 // एवं जनाननान्नाना-सापं श्रुत्वा स दधिवान् / / परोक्त मेषु पूर्वोक्ता-न्मान्यं व्याकरणेष्विव / / 17 / / सत्यवादिषु कः कोपः / सत्यवादी हि दुर्लनः // 19 | जानेऽहमपि न न्याय्यो / यूनां पितृधनव्ययः // 17 / / व्ययीत विनवं पैञ्यं / कुणिः पंगुर्नवेद्यदि // अन्यथा दुर्यशोवल्ख्यं-कूरावेव करौ ऋमौ // 17 // एवं विकल्पदुर्वात-क्षुब्धे तञ्चित्तवारि. मातासरखी लक्ष्मीने नोगवे . // 15 / / धन्य ने एना पिताने के जे तेनुं बावीरीतन जडान पणुं सहन करे , चंद्रनो जेम बुध तेम अकर्मी पुत्र पण पितानो वैरी थाय . // 16 // एवी रीते लोकोना मुखथी नानाप्रकारनां वचनो सांजळीने ते धर्मदत्त विचारखा लाग्यो के जेम व्या. करणमां तेम (अहिं पण ) प्रथम मनुष्यना वचन करतां पाबळना मनुष्यनुं वचन मानवालायक. // 17 // वळी सत्यवादीप्रते कोप करवो शा कामनो ? केमके सत्य कहेनार दर्तन होय , तेम हुँ पण जाणुं बु के जमरलायक पुत्रे पितानुं धन जमावq ए योग्य नथी. // 1 // पत्र जो खुलो अथवा पांगळो होय तो ते गले पिताए उपार्जन करेधुं धन खरचे, परंतु जो तेम P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust