________________ तः // 1 // एकमत्र मया तात / बालेनापि निदर्शनं / वस्तुतत्वेक्षणं चक्षु-स्तायिक निगद्यसार्थ ते // 2 // तथाहि भारत क्षेत्र-मिदमस्त्यत्र चित्रकृत् // पुंस्त्रीगजाश्वरत्नानि / जायते यत्र धान्यव त् // 3 // तत्रास्ति हास्तिकाश्वीय-राथ्यपौरप्रपूरिता // पूरिताशेषविहेषि-जयोल्लापा वराणसी / / | // 4 // पालः पालयामास / राज्यं तत्र महाबलः / / संतप्ता यत्प्रतापेन / वनं जेजुररातयः // 5 // राशस्तस्यातिगौरख्यो / ऽव्योपायविशारदः // अद्यशोधरश्रेष्टी / श्रिया श्रीद वापरः // 6 // गौवर्ण डेवटे जेम विखराश्ने सर्व धनना नाशपूर्वक क्वेश थापे , तेम कुमाथी पण तेवुज फ. लमले . // 1 // थाना संबंधमां हे पिताजी हुँ बालक छतां पण वस्तुतत्व जोवामां वीजां लो. चनसर एक दृष्टांत आपने निवेदन करुं बु. // 2 // था जंबूद्दीपमां एक भरत नामे पाश्चर्यकारी क्षेत्र ने, केमके तेमां पुरुष, स्त्री, हाथी, घोडा तथा रत्नो धान्यनीपेठे उत्पन्न थाय जे.॥२॥ तेमां हाथी घोडा रथ तथा नगरना लोकोना समूहथी जरेली तथा ज्यां वचनमात्रथी पण श. त्रुनो जय नथी एवी वाराणसी नामनी नगरी 3. // 4 // त्यां महाबल नामनो राजा राज्य करतो | हतो, के जेना प्रतापथी तपेला वैरीन वनमा रहेता हता. // 5 // ते राजानो अति माननीक. PP.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust