________________ धम्मि- ऽसौ महातेजा / विमलस्त्रासवर्जितः // तप्तगांगेयगौरांगी। सुनापि शुजाकृतिः // 55 // अनमाई योर्योगमाधातुं / मणिमुडिकयोखि // विधिरेव कलादः स्या-त्तद्गृह्याः के पुनर्वयं // 13 // ए. | वं वाग्गौवं तन्वन् / समुद्रः प्रतिपद्यते // यावत्तेषां वचस्तावत् / सुरेंद्रः प्रोचिवानिति // 4 // सं. ___42 योज्य दूरे भवतः / पितरौ सारथी श्व // जत्रैव योषिनिर्वाह्या / धूधुर्येणेव केवलं // 55 // सद श्या सगुणा नम्रा / स्मर्तव्या संकटे दृढा / / अनंगुरा च जाग्यैः स्या-धनुर्यष्टिरियांगना / / 6 // था निर्नय , तेम सुभद्रा पण तपेला सुवर्णसरखां गौर शरीरवाळी अने सुंदर थाकारवाळी जे. // ए२ // मणि अने मुडिकानीपेठे या बन्नेनो योग मेळ्ववाने विधाताज़ सोनार बनी शके ते. म बे, माटे अमो तो था बाबतमां शुं हिसाबमां जीये ? / / ए३ // एवी रीते वचनगौरवने विस्तारतोयको समुदत्त जेवामां तेनुं वचन स्वीकारे , तेवामां सुरेंद्रदत्त बोयो के, // 4 // मा. बाप तो सारथिनीपेठे जोमीने दूर थर जाय बे, पनी तो बळ्दने जेम धोंसरांनो तेम मात्र न. तारनेज स्त्रीनो निर्वाह करवो पडे . // 5 // उत्तम वंशनी (सारा वांसवाळी) गुणवान (दो. / रीवाळी) नम्र, संकटसमये याद करवा लायक, दृढ तथा धैर्यवाळी (गांगी न जाय तेवी) धनुः | P.P.AC.Gunratnasuri M.S.. Jun Gun Aaradhak Trust