________________ धम्मि- भूयासं च स्तवात्तव // दमा समाधिमाधातुं / प्रिये. प्रश्नं प्रकुर्वति // 7 // इत्युक्त्वा साऽबुत | पाद-पीठस्य पुरतः प्रयोः // पितृन्यामपि येनार्ति-गाजां देवगुरू प्रियौ.॥ 3 // बर्जिनमः क्या च / कृपया च प्रणोदिताः // साहाय्यकारिणस्तस्या–श्चैत्याधिष्टायकाः सुराः / / 4 // देवं 40 जिनेउं गारं / सुरेंडं च प्रपेदुषी // ततः सतीशिरोरत्नं / निजं धाम जगाम सा // 5 // अय कामः सामदाना-छुपायेषु पराङ्मुखः // अबलामपि नां चक्रे / केवलं दंडगोचरां / / 76 // . जावधी ज्यारे मारो स्वामी प्रश्न करे त्यारे हं तेनो उत्तर पापवाने समर्थ था तो वधारे सारं थाय. // 72 // एम कहीने ते प्रजुना श्रासनपासे लोटी पमी, कारण के दुःखीजने मानाप कर तां पण देवगुरु वधारे. प्रिय होय जे. // 3 // एवी रीतनी जिनशक्तिथी तथा दयाथी प्रेरायेला चैत्यना अधिष्टायक देवो तेणीने सहाय करनारा थया. // 4 || हवे जिनेश्वरने देवतरीके तथा सुरेंद्रदत्तने भारतरीके स्वीकारती ते सतीशिरोमणि सुजता पोताने घेर गइ. // 5 // हवे कामदेव पण साम दान आदिक उपायोने तजीने ते अबलाने पण केवल दंडगोचर करवा ला. ग्यो. // 6 // एवीरीते कामथी पीमायेली ते पाषणने दृषणतरीके, वस्त्रने शस्त्रतरीके, पोता. AG P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust