________________ धम्मि- जाजि निमज्जतां // नरजन्मतरीखाने / भवानिर्यामकायते // 9 // वैद्यो है नीरु दत्ते / गीः प्रज्ञां पतिर्धनं / / त्वमेकः सर्वकार्येषु / प्रभुः केनोपमीयसे / / 90 // सा ममापदपि प्रीत्यै / यथा त्वं ध्यायसेऽनिशं // साम्राज्येनापि तेनालं / यत्र त्वं न प्रपद्यसे / / // तव प्रसादप्रासाद-श्रृं. गाग्रमधितस्थुषः // प्रयते विपव्याघी / धावमानापि नार्दितुं // 70 // देवो गुरुः पिता माता। | सखा स्वामी त्वमेव मे // तत्प्रसद्य विपन्ममां / मां कृपालय पालय // 71 // नस्याम्यहं सदैव वां | निर्यामकसमान बे. // 7 // वैद्य नीरोगीपणुं श्रापे , सरस्वती बुद्धि प्रापे , राजा धन प्रापे बे, परंतु तुं तो एकज सर्व कार्योमां समर्थ , माटे तने कोनी उपमा यापुं? // 70 // ते दुःख पण मने अानंदकारी , के ज्यां तारं हमेशां ध्यान धरी शकाय बे, परंतु ज्यां तुं प्राप्त यतो न. थी ते राज्यनी पण मारे जरुर नथी. // 7 // तारी कृपारूपी महेलना शिखरना अग्रनागपर र. हेला प्राणीने दोमती एवी पण आपदारूपी वाघण दुःख देश् शकती नथी. // 70 // मारो देव गुरु पिता माता मित्र तथा स्वामी तुज , माटे हे कृपालय ! कृपा करीने आपदामां बुडेली एवी | जे हुं तेनुं तुं रदाण कर? // 71 // हुं हमेशां आपनां दर्शन करीश, तथा आपनी स्तुतिना प्र. P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust