________________ धम्भि| तोयनेत्रानि–कुंडे मृत्युमसाधयत् // 67 // बुधा मुधा सुधामाहु-स्तगिरा.. तृप्ति नागिनः // हिः वा जुवं दिवं भेजे / ततः सापत्रपेव सा // 17 // तस्मिन झाऽपि नाद्यापि / मनसो मम नि वृत्तिः // कदाचिदप्यसौ मह-द्यदि प्रश्नं विधास्यति // 65 // तदा मया मंदधिया / दास्यते क: 37 | थमत्तरं // विनोत्तरं तु दयिती-कर्ता मां बालिशां न सः // 10 // अहो अद्यापि वीवाई। श्यामि बहुविघ्नकं // यद्दालं चिंतया दैवे / विश्वव्यापारपारगे // 11 // बालपंतीति सा प्राप / पु: पडीने बळी मर्यो . // 67 // तेनी वाणीथी संतुष्ट थयेला देवो अमृतने नका, गणे. अने तेथी ते अमृत जाणे लज्जातुर थयु होय नहि तेम. पृथ्वी तजीने देवलोकमां गयुं जे. // 6 // वळी तेने जळ्ख्या उतां पण हजु मारां मनने शांति. थतीनथी, केमके कदाच ते पण मारीपेठे जो प्रश्न करशे तो / / ६एं // मंदबुधि एवी हुँ शीरोते तेने उत्तर आपी शंकीश? अने उत्तर या प्याविना मने निर्बुछिने ते पोतानी स्त्रीतरीके स्वीकारशे नही. // 70 // अहो! हजु पण हमा रा विवाहने घणा विनोवाळो जोडं डं, अथवा जगतनो व्यापार देवाधीन होवाथी चिंतावड़े क. |ीने सर्य. // 11 // एम बोलतीथकी ते अमिथी जेम तृणनी पूळी तेम वियोगयी बळतीयकी POADGunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust