________________ धम्मि- ऽयं / यूयं नृत्यत नृत्यत // 6 // असौ सुरेंद्रदत्तो हृ-तोषनरेजिरदारैः / / ज्ञातः समुद्रदत्तभ्यमा वंशमुक्तामणिर्मया.।। 63 // जपोपाध्यायमध्याय-परया शैशवे मया // कौशलं कौशलंध्रादयः / | सादादस्यान्वयत // 64 // स्वधिया निर्जितोऽनेना-ददानो दर्शनं दिवा / / जीतजीत श्व व्यो नि / निशि ब्रमति वाक्पतिः // 65 // मन्येऽमुना. तृणीचके / स्वगांनी येण वारिधिः // ऊर्वान| लो ज्वलनेतं / ग्रसते कथमन्यथा // 66 // जमरंग श्वानंग-स्तस्य रूपनिरूपणात् / / शंनोस्तृ. आ यदारोथी मारा हृदयना संतोषना स्थानसरखा तथा समुद्रदत्तशेठना वंशमां मुक्तामणिसरखा ते सुरेंजदत्तने में नळखी कहाड्यो . // 63 // वळी हे कमलसरखा. नेत्रवाळी सखीन! बास्यपणामां उपाध्यायपासे अन्यास करती वखते में तेनी कुशलता सादात अनुनवेली बे..॥ 64 // तेणे पोतानी बुष्थिी जीतेलो बृहस्पति दिवसे दर्शन न थापतो थको बीकणनी पेठे रात्रिए अाकाशमां जमे . // 65 // हं एम मार्नु बु के तेणे पोतानी गंजीरताथी समुद्रने तृणसमान करेलो , जो एम न होय तो बळतो ऊर्वानल शामाटे तेने ग्रसी जाय ? // 66 // तेनुं रू. | प जोवाथी जाणे निराश थयो होय नहि तेम कामदेव महादेवना त्रीजां नेत्ररूपी अमिकुंडमां | P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust