________________ धम्मि| श्वकृता कृती // 57 // अद्यापि निश्चितं नास्ति / निष्कोविदमिदं जगत् // अद्यापि हंत संत्येव / / सतीनां सत्त्व सिध्यः // 17 // महचित्रमिदं दूर-स्थोऽप्येष विविदे कथं / / श्लोकार्थमेतं मञ्चेतो –धाम्नि धीनगृहस्थितं // 55 // प्रियचंद्रोदयस्फीते / ममानंदमहोदधौ // स ज्ञेयः कथमित्येका 35 / शंका हालाहलायते // 60 // यावदेवं ब्रुवाणा सा / अस्यते मोहरदासा // तावत्पत्रलिपि सम्य गवगम्येत्यनाषत // 61 // जितं जितं मया सख्यः / शांतं शांतममंगलं // प्राप्तः प्राप्तः प्रियः सो. रेलो . // 57 / / खरेखर हजु पण या जगत पंमितरहित थयेवू नथी, तेमज हजु पण सती जनां सत्वनी सिधि रहेली बे. // 27 // परंतु या एक महोटुं याश्चर्य ने के, दूर रहेला एवा पण तेणे मारा चित्तरूपी घरना बुधिरूपी नोयरामा रहेला था श्लोकार्थने शीरीते जाण्यो! / मारा प्रियरूपी चंदना नदयथी नलसित थयेला यानंदरूपी समुद्रमा हवे तेने शीरीते जळखवो? एज एक चिंता फेरसमान थर पडी जे. // 60 // एम बोलतीथकी जेटलामां ते मोहरूपी राक्षस थी असाय , तेटलामां ते पतनी लीपीने सारीरीते नळखीने बोली के // 61 // हे सखीन है Jजीती जीती, विघ्न शांत थयु शांत थयु, ते प्रीतम मल्यो मल्यो, माटे तमो नाचो नाचो? ॥६शा) P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust