________________ धम्मि- // 27 // उपेत्य श्रवणोपांत-मेकेन सुहृदा तदा // अषडदीणमंत्रेण / व्यझयत समुद्र वः / / // 25 // तवानेयोऽद्य वानेयो-लंकारः कश्चिदित्यहं // प्रेप्सुः प्रचुरपुष्पौधं / वनेऽस्मिन्नेकतोऽगमं // 30 // तावत्तत्रागलमलमी-खि सागरसंजवा / / सुनडा रूपनिधिभिः / सखीनिःशोजिताशितः // 31 // स्मितपुष्पा स्तनफला / मुखाब्जाधरपल्लवा // कर्णदोला जलता / प्रश्वासमलयानिला // 3 // सा नवेव वसंतश्रीः / स्मरास्त्रार्थमिवाचिनोत् / चलत्किसलयाऽभेद-भाजा पुष्पाणि पा. मित्र सुरेंददत्तना कर्णपासे यावीने जेम को तीजो माणस सांगळे नहि तेम कां के // 2 // तारे माटे हुँ बाजे एक पुष्पाजूषण लावू तो ठीक, एम विचारीने पुष्पोनो समूह लेवामाटे हूं था बगीचामां एक बाजुए गयो हतो. // 30 // एवामां त्यां सागरशेग्नी लक्ष्मीसरखी पुत्री सुनंदा रूपना जंडारसरखी सखीनथी शोजीती थयेली त्यां यावी. // 31 // हास्यरूपी पुष्पोवाळी, स्तनरूपी फलवाळी, मुखरूपी कमलवाळी, होठरूपी पल्लववाळी, कर्णरूपी हींचोळावाळी, गुजारूपी ल. तावाळी, तथा श्वासोश्वासरूपी मलयाचलना वायुवाळी, / / 35 // एवी ते नवी वसंतलक्ष्मीसरखी जाणे कामदेवना शस्त्रोमाटे होय नहि तेम चलायमान पक्षवसरखा हायवडे करीने पुष्पो एक Jun Gun Aaradhak Trust P.P. Ac. Gunratnasur M.S.