________________ धम्मि- योगिनां वापि / तान्येवेष्टार्थसिद्धये // 24 // समं सुरेंद्रदत्तोऽपि / व मिनस्तारकैखि // सुमित साई भागमुद्यानं / प्राप चं वांबरं // 25 // तत्र सोऽन्यकृताः पश्य-निर्निमेषेक्षणः दणं // दोला जलावगाहाद्याः / केलीः स्वयमपि व्यधात // 26 // स नंदनवनकोड-क्रीडत्रिदशविन्रमः // वि. . शश्राम श्रमस्वेद-बिते सांदवदे तरौ // 27 // : तत्रापि गायनोजीत-गीतप्रीतश्रवा असौ // जातः सुधाघ्रात श्व | भोगाः सर्वत्र जोगिनां मां ते वन नपयोगीजे. // // ताराज सहित चंद्र जेम आकाशमांबावे ,तेम सुरेंद्रदत्त पण ते समये पोताना मित्रोसहित बगीचामां याव्यो / // 55 // त्यां ते अन्योये करेली हिंचोळा जलस्नानयादिकनी क्रीडा कणवारसुधी एकीनजरे जोश्ने पोते पण तेम करवा लाग्यो // 6 // नं. दनवननी अंदर क्रीमा करता देवसरखा ते सुरेंद्रदत्ते थाकथी थयेलो पसीनो दूर करखामाटे घाटां पबोवाळा वृदो नीचे विश्राम कों. // 27 // त्यां पण जेंचे खरे गवातां गायनोथी श्रवणेंडियनुं सुख मेळवीने जाणे अमृतपानयी धरायो होय नहि तेवो थयो, केमके जोगीलोकोने सर्व जगोए गोगो मळे जे. // 20 // ते समये एक P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jan Gun Aaradhak Trust