________________ धम्मि भ्य-जंगरंगदमामः // 15 // मंजरीपिंजरीता-च्चूताद्यत्र कुहूध्वनि // किंपिका अपठन्निड-बि. ज्यविरहिणीमुदे // 20 // उद्यबता जगज्जेतुं / कुसुमास्त्रेण सज्जिता // श्रायुधालीव यत्रांत-वं. पुष्पावली बनौ / / 21 // निजालोकादशोका ये / पांथान् जन्नुर्वियोगिनः // लमा भुंगबलात् 27/ पाप-स्तबकास्तेष्वमी किमु // 25 // वियोगानौ दहत्यंगं / पांथानां पथि धावतां // याचरन्मित्रमौ चित्य-ममिलन्मलयानिलः // 23 // याचिक्रीडिषवः पौराः / काननानि तदा ययुः / / जोगिनां ते वखते मांजरथी पीळाश मारता अग्रवृदोपर रहेली कोयलो जाणे चंद्रथी मरती विरहिणी स्त्री. नाहर्षमाटे अवाज करवा लागी // 20 // जगतने जीतवाने तैयार थयेला कामदेवे हथियारोनी पं. क्ति तैयार करेली होय नहि, तेम वननी अंदर पुष्पोनी श्रेणि शोजवा लागी.॥२१॥ यायशोकवृदो के जेनए वियोगी पंथिनने मारेला . तेजने विषे नमरानना मिषयी शुं था पापोना गुबान वळगेला ! // 12 // मार्गे चालता पंथिनने वियोगरूपी अनि बाळते ते पोतानी मित्रा प्रकट करतो मलयाचलनो वायु ( ते अमिने) मळी गयो. // 23 // ते समये नगरना लोको क्रीडा करवानी श्बाथी वनमां गया, केमके लोगी अथवा योगीनने बित अर्थ साथवा. ) P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust