________________ धम्मि| ध्वंसनिबंधनं // 15 // गुणाश्रयो वरः कः स्या-दस्या इति वितर्कयन् / / पित्रा प्रौच्यत मंदादो / . माई मंदादरतया तया // 16 / / नानासि न च निडासि / मत्पाणिग्रहचिंतया // किं तात तव वदयेऽहं / काले योग्यं वरं स्वयं // 17 / / बालाथ कालमालीनां / लीना केलिरसेऽत्यगात् // दृढं हृत्पंजर२६ | कोडे / रुध्ध्वानंगविहंगमं // 10 // सुरभिः पुरजिदग्धं / जीवयन्नथ मन्मथं // व्यजूंनद् वि जा. र्थिन गुरुपासेथी विद्या मेळवीने पोतपोताने घेर गया॥१५ ते गुरुए. जणावेलीतथाशास्त्रसमुद्रना पारने पहोंचेली ते सुभद्रा पण युवकोनां धैर्यने नाश करनारी युवावस्था पामी. // 15 // ह. वे या मारी पुत्रीनो कोण गुणवान स्वामी थशे? एवा विचारथी चिंतातुर थयेला पोताना पिता. ने तेणीए धीमे रहीने कह्यु के // 16 // हे पिताजी! आप मारां लमनी चिंतायी नयी भोजन करता के नथी निद्रा लेता परंतु अवसरे हुँ पोतेज योग्य वरने सूचवीश // 17 // हवे ते बा. लिका सखीनसाथे रमतगमतमां लीन थश्ने तथा कामदेवरूपी पदीने पोताना हृदयरूपी पांज. रमां दृढरीते रोकीने पोतानो समय गाळवा लागी // 17 / / एवामां शंकरे बाळेला कामदेवने जी. वामती तथा नमता नमरानने खुशकारकवृदोवाळी वसंत ऋतु पृथ्वीपर विस्तार पामी. // 10 // P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust