________________ धम्मि| तोऽथापरैश्गत्रै-विशेषेण सुन्द्रया // दध्यौ त्रपादपाम्लान-मुखाजो भूपरिति // 6 // किमाई मकार्षमई कर्म / प्राग्नवे यदिपाकतः // न्यमांदमेवमझान-सिंधौ सिंधुरयादिव // 7 // गत्रा धन्या अमी प्रज्ञा / विझातग्रंथकोटयः // धन्योऽहमप्यदः प्रज्ञा–परनागस्य पोषकः // 7 // वि. | धे विधेहि मे देधी-जावं नावंचिते हृदि // येनेदं जाड्यजंबालं / कदाचिडोषमोषति | 0 | ब्रह्महा चूणहा नाहं / नजनंगमसंगमी // किं न स्पृशसि मां देवि / हास्येनापि सरस्वति // 10 // द्यार्थिनथी तथा सुन्नद्राथी विशेषे करीने हांसीपात्र थयेला, अने खारूपी रातिथी करमा ग. येवु ने मुखकमल जेनुं एवा ते राजपुत्रे विचार्यु के // 6 // अरे पूर्वनवमां में एवं ते शुं क. म करेलु ! के नदीना वेगसरखा जेना जदयथी हुँ अज्ञानसमुडमां मुबेलो बु॥ 7 // ग्रंथोनो रहस्य जाणनारा या विद्यार्थिनने धन्य , तेमजमूर्खाचं पोषण करनारा एवा मने पण धन्यजने! ॥Gहे दैव!मारा बुधिहीन हृदयनां तुं बे टुकडा करी नाख? केजेधी (तेमांरहेलो) मूर्खाइरूपी कादव को पण समये सूका जाय // ॥वळी हुं ब्रह्महत्या के बालहत्या करनार नथी, तेम नीचनी सोबत करनार पण नयी, तो हे सरस्वती देवी! केवल हास्यथी पण तुं मारो P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust