________________ धम्मि-|... को जागृतो मृगेंऽस्य / केसराण्युद्दिधीर्षति / / पादान्यां पृथिवीशं को / विशंकः स्कंतुमि / | बति // 73 // परं को परिक्रीड-माण नर्वदमः पुरः // यास्कंदति नृपं तातं / पद् ज्यां प्राणप्रियः सुतः // 14 // पादैराक्रांतरत्नाडि-खि कल्पडमांकुरः / / स राझो राज्यसर्वस्वं / मार्यः पूज्योऽथवोच्यतां / / // धियं निध्याय सामुछे-धुन्वन्नध्यापको शिरः // तस्मिन्नध्यापनाया सं / सौवं मेने फलेग्रहि // 76 / / कलंकिनीव शिष्यौवे / त्रपया न्यग्मुखे व्यधात् // सुगडा न्यु रे ? // 12 // . जागता सिंहनी केशवाळीने खेंचवानी ना कोण करे? तेमज कयो माणस निःशंकपणे पगथी राजाने माखाने श्वे ? // 13 // परंतु खोळामां रमतो प्राणप्रिय पुत्र पोतना पिता एवा रा जाने पण जगंबळो थयो थको पगथी मारे बेः // 14 // मूळीयांथी दबावेल ने मेरु पर्वत जे. णे एवा कल्पवृदाना अंकुरानी पेठे राज्यनी सर्व मिल्कतरूप एवा राजाना ते पुत्रने मारखो के प्रजवो ते कहो ? // 15 / / एवी रीतनी सुरेंद्रदत्तनी बुछिने ध्यानमां लश्ने ते अध्यापक (पोतानं) | मस्तक धुणावतो थको तेने अन्यास कराववामाटे पोते करेला श्रमने सफळ मानवा लाग्यो. . P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust