________________ धम्मि- होःशृणुतः सर्वेऽपि / शिष्या बदामबुध्यः // पद्न्यामास्तिघ्नते भूपं / यः स के दंडमर्हति // 60 // / माई मार्यः कार्योऽश्रवा जिन्न-पादः स ध्रुवमट्पधीः / / इति सर्वेषु जपत्सु / सामुद्रिमौनमयजत् // 6 // याः किं वि गुरोर्वाचां / परमार्थमविंदवः // पद्न्यां क्रमति नृपं यः / पूज्य एव स धीमतां // 16 // 70 // कथं कथमितिप्रश्नोत्तालकोलाहलाकुले // विनेयमंडने प्रोचे / स पुनः श्रेष्टिनंदनः / / / / 11 // को ज्वलज्ज्वलनज्वाला / सचैतन्यः पिपासति // को वा-स्फारस्फारत्नं / फणिनर्जि | दति / / 12 // ने पगथी मारे ते क्या दंडने लायक थाय ? // 6 // ते अल्पबुधिने मारी नाखो जोएः, अयवा तेना पग बेदवा जोशए एम सवे विद्यार्थी ज्यारे बोल्या त्यारे सुरऽदत्त बोल्यो के 6 अरेत. मो गुरुना वचननो परमार्थ जाण्याविना या शुं बोलो गे? जे माणस पगथी राजाने मारेने ते बुझिवानोने पूजवा लायकज थाय थे / / 7 // एम केम? एम केम ? एवी रीते प्रश्नपूर्वक विद्याथीवर्गे घणो कोलाहल करते ते ते श्रेष्टीपुत्र बोल्यो के ||11|| बळती अमिज्वाळाने कयो बुधिवान पीवानी ना करे? अथवा नागराजनी विस्तीर्णफणपर रहेला मणिने कोण लेवानी वा क P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust