________________ धम्मि- स्तकेन करस्थेन / सूचिताशेषपतिः // सह तेनाटवीं क्रामन् / पाप योगी गिरिं पुरः / / 61 ॥यु. मं // स चिरं संचरनद्रि-द्रोणीषु द्रविणाशया / / दृशदिलिखनै रक्त-करादिरगवद् दिजः // | // 65 // स्फुटस्फारस्फटाटोप-फणिफूत्कारदारुणं // अस्थिरस्थपुटस्थूल-प्रस्थस्थलदुरात्र मं // 63 // 163 जानुजीततमःस्तोम–स्थानप्रदमविदतां // श्ववस्येव मुखं कल्य-बलादिवरमाप्य तौ / / 64 // यु. ग्मं // स्निग्धमाहिषपुबान-जाग्रज्ज्वलनतेजसा / किंचित् प्रपंचिताध्वानौ / लेजाते रसकूपिकां एवो ते योगी ते ब्राह्मणने साथे लेश्ने वनमां चालतोथको एक पर्वतपासे यात्री पहोंच्यो. // // 61 // हवे धननी श्राशाथी पर्वतनी मेखला मां घणो काळ जमवाथी ते ब्राह्मण पथ्यरना घसारावडे करीने रुधिरना करणावाला पर्वतजेवो थयो. // 6 // प्रगटरीते विस्तारेल ने फणानो बाटोप जेनए एवा सोना फुफाडाथी जयंकर लागता, तथा अस्थिर दगलासरखा महोटा पथ्यवाळी जमीनथी कुःखे नलंगी शकाय एवा // 63 // तथा सूर्यथी मरेला अंधकारना समूहने निवासस्थान थापनारा नरकना मुखसरखा एक भोयरापासे आवीने तेज बन्ने मुश्केलीथी तेमां | पेग. // 64 // तेलमां नीजवेला पाडाना पुनमाने बेडे सळ्गावेला दीपकना तेजथा कइंकमा | P.P.AC Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust